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<poem>
कह लेना सुख हुआ
परिधियाँ लाँघ लीं

बोलियाँ दुख लगीं
चुप्पियाँ बाँध लीं

सतर्ष को संघर्ष का हथियार
दो मुँहा धार, दो मुँहा धार
</poem>
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