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<poem>
विचारां री धजावां सांभ्यां
वाद री पछेवड़ी ओढ्यां
भाजता दीसै
केई आगीवांण।

सईकां सूं
दब्योड़्या-चींथ्योड़ा
मांणसां री पीड़ रौ
अणूंतौ सेकौ ढोवता।

अैड़ी धजावां अर
जगचावी पछेवड़ी
वांनै पूगायदै सैं-ठोड़
वां सागी सिंघासणां माथै
जठै सूं मांनखै रै साथै
हुवै अणूताई
जिनावर जैड़ी।

हाल बगत लिखारा ई
राजनेतावां सूं
वपराय लीन्ही
अंगेज लीन्ही
हदभांत
राज करण री खामचाई।

</poem>
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