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नया वर्ष आने दो / कन्हैयालाल मत्त
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परिवर्तन नए लाने दो !
आकंठ
आकण्ठ
-मग्न होकर जो
व्यंग्य-विधा में
है देख रहा लक्षणा
अनिल जनविजय
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