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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोहर 'साग़र' पालमपुरी
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[[Category:ग़ज़ल]]

जिसको पाना है उसको खोना है

हादिसा एक दिन ये होना है


फ़र्श पर हो या अर्श पर कोई

सब को इक दिन ज़मीं पे होना है


चाहे कितना अज़ीम हो इन्साँ

वक़्त के हाथ का खिलोना है


दिल पे जो दाग़ है मलामत का

वो हमें आँसुओं से धोना है


चार दिन हँस के काट लो यारो!

ज़िन्दगी उम्र भर का रोना है


छेड़ो फिर से कोई ग़ज़ल ‘साग़र’!

आज मौसम बड़ा सलोना है