भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिसको पाना है उसको खोना है / साग़र पालमपुरी
Kavita Kosh से
जिसको पाना है उसको खोना है
हादिसा एक दिन ये होना है
फ़र्श पर हो या अर्श पर कोई
सब को इक दिन ज़मीं पे होना है
चाहे कितना अज़ीम हो इन्साँ
वक़्त के हाथ का खिलोना है
दिल पे जो दाग़ है मलामत का
वो हमें आँसुओं से धोना है
चार दिन हँस के काट लो यारो!
ज़िन्दगी उम्र भर का रोना है
छेड़ो फिर से कोई ग़ज़ल ‘साग़र’!
आज मौसम बड़ा सलोना है