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07:13, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
म्हूं आखी रात
निरखूं अकास
गिणूं तारा
अर तारा
गिणतां-गिणतां
बीतै आखी रात
दिनुगै जाऊं
तावळै-तावळै
पांवडा धरतो
दिन रै तारै मिस
पढण रै भानै।
</poem>
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