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तारा / दुष्यन्त जोशी

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म्हूं आखी रात
निरखूं अकास
गिणूं तारा

अर तारा
गिणतां-गिणतां
बीतै आखी रात

दिनुगै जाऊं
तावळै-तावळै
पांवडा धरतो
दिन रै तारै मिस
पढण रै भानै।