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07:43, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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<poem>
झुर-झुर रोवै
फोयली
लाळां बरसावै
लाय।
पोतै नै
समझावै
दादौ
छींया मौत री
गांव-गळी।
दूजै ई दाड़ै
ऊठै सीढी
इचजर में
नुंवी पीढ़ी।
फोयली अर दादौ
यूं कीकर
समायगा ?
</poem>
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