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09:47, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
वो जिकौ पटवारी रौ
रातौ बस्तौ संभाळयां
ऊभौ है नीं
गांव-भांबी कोनीं
ठाकर है
ठाकर !
अब अबै
ठाकर
अठी-उठी री करै
तद कठै ई
नीठ
पेट भरै।
</poem>
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