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बदळाव / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
वो जिकौ पटवारी रौ
रातौ बस्तौ संभाळयां
ऊभौ है नीं
गांव-भांबी कोनीं
ठाकर है
ठाकर !
अब अबै
ठाकर
अठी-उठी री करै
तद कठै ई
नीठ
पेट भरै।