781 bytes added,
09:48, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
घसीज्योड़ी जूत्यां मत भाळौ थे
म्हारै पावंडां राखौ भरोसौ
व्हे जावौ निसंग नचीता
पकावट ई पूगूंला म्हैं
आपरी मजल
भलांई कांटां भरिया मारग
क्यूं नीं व्है
म्है थांरी सीख रै पांण उणनै
वकार लूंला।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader