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रात की ग़ार में उतरने का / विकास शर्मा 'राज़'
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रात की ग़ार में उतरने का
आ गया वक़्त फिर बिखरने का
उसकी रफ़्तार से तो लगता है
वो कहीं भी नहीं ठहरने का
नींद टूटी तो मुझको चैन पड़ा
ख़्वाब देखा था अपने मरने का
तन से पत्थर बँधे हुए हैं मिरे
मैं नहीं सत्ह पर उभरने का
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Shrddha
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