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सांग:– गोपीचंद-भरथरी & (अनुक्रमांक – 25 )
'''गुरू की बाणी आई, याद सब चेल्या नै,''''''मन मैं करया विचार ।। टेक ।।'''
उस नगरी मैं जाके अलख जगाईयों, जड़ै धन बिन हो दातार,
हलवा पूरी खीर मिठाई, ना चाहिए अन्न -आहार।।
कुएं बावडी ताल सरोवर, ना बहती हो कोए धार,