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[[Category:चोका]]
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कण -कण सेजो कभी मैंने पायादे दूँ तुझकोनयन मिलें जब छोड़ सभी कोमैं रूप भरूँ, देखूँसिर्फ तुम्हीं कोपुतली बनकरचुपके से आतुम बस ही जानामेरे नैनों मेंदेखूँगा दर्पन में।अमृत रसबरसे नित दिनतेरे बैनों मेंसींचे मन की धराकरे उर्वरा।बिन बोले भी ,बोलेउर- कम्पनकभी न छूटे प्रियभुज -बन्धनमधुर आलिंगनमहके तन -मन।-0-
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