Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज़िक़ अंसारी }} {{KKCatGhazal}} <poem>मुझ से क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
}}
{{KKCatGhazal}}

<poem>मुझ से कहता है जिस्म हारा हुआ
वक़्त हूँ मैं तेरा गुज़ारा हुआ

जान का जब हमें ख़सारा हुआ
इश्क़ नाम तब हमारा हुआ

आप का नाम दर्ज है लेकिन
ये है मेरा शिकार मारा हुआ

आज क़ातिल बरी हुए मेरे
आज फिर क़त्ल मैं दुबारा हुआ

आप जिसको पहन के नाजां हैं
पैरहन है मेरा उतारा हुआ

फिर ठगे जाओगे ठगे लोगो
झूट है सच का रूप धारा हुआ
</poem>