Changes

उनींदी भोर / कविता भट्ट

1,041 bytes added, 04:50, 5 जुलाई 2018
<poem>
1सुखद भोरखग-गीत गूँजतेमुक्तछंद में।2प्राची के माथेतप्त अधर रखे प्रातःरवि ने ।3उनींदी भोरमुक्त गुनगुनातीप्रकृति रानी4निशा परास्तपूर्वा की चुनरियारवि ने थामी ।5ओ ! तुम कौनदिशाओं से गाते संगीत -मौन6प्रणवाक्षरईश गीत, ईश भीगुंजायमान7आज फिर सेकर्मयोगी सूरजनिर्लिप्त उगा8वीणा के तारबरखा रानी छेड़ेधरा-शृंगार9धरा - कागदप्रकृति कवयित्रीमुक्तक लिखे10बाट निहारेप्रिय साँझ सवेरेविषाद घेरे
</poem>