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11:26, 10 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=पंकज चौधरी
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|संग्रह=
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<poem>
दोनों दोस्त थे
और संयोग से दोनों एक ही जाति के भी थे
दोनों जब मिलते
तो लगता कि तोता और मैना मिल रहे हों
दोनों बात करने जब एकांत मे बैठते
तो अपनी जाति के इतिहास
वर्तमान और भविष्य को खंगाल डालते
अपनी जाति के भारत निर्माण में
योगदान को बार-बार सराहते
और उनका सीना अपने-आप
देखने में 56 इंच का हो जाता
दोनों अपनी जाति की प्रगति
और कैसे हो सकती है-
के सवाल पर एक-से-एक युक्ति पेश करते
दोनों कहीं से भी
और कोई भी बात शुरू करते
तो अंत में अपनी जाति पर ही आ लटकते
कहने का मतलब यह कि
दोनों अपनी जाति के लिए
मरने-मिटने को आमादा हो सकते हैं
काश! दोनों की दिलचस्पी
दूसरी जातियों और धर्मों में भी
अपनी जाति की ही तरह होती!
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