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गहन दुःखन देख सका मेरातो फूट पड़ासाथी नीला आसमाँदेने आ गएसब मेरा ही साथचाहे प्रभातखेत औ खलिहानहों नन्हे पौधेया फूलों की कतार।भर ही गयाआँसू से लबालबपूरा जहान।धुँधला दिखे अबसब कुछ ही।आँसुओं भरी आँखेंरूँधा- सा गलाभारी हुआ था मन।तभी आ गईनन्हीं धूप किरण।खुला आसमाँखिल गया मेरा भीमुरझाया वो मन।
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