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17:16, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
कित्तो धीजो राखै
हिवड़ै री गैराई मांय
इण तपतै जेठ रै दोपारै।
नाप लीनो पारो
जेठ बदी अर सुदी रो
फकत कोर्ई मीटर
रेत रो पारो ई नाप लेवतो
सूरज रै हेठै
रेत री गैराई रो।
आखै दिन तपै
अर सिंझ्या पछै
भूल जावै दिन री तपत
गावण लागै
चांदै भेळी बजावै मिरदंग
तारां सूं टकरावती
अेकली
भळै सूरज रो सैनाण देंवती
नीं थकै भोर तांई
गीत प्रीत रा गावै
सोनलिया रेत।
</poem>
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