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14:29, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आज संबंध
घड़ी री सूइयां ज्यूं
मिलै-बिछड़ै
{{KKBR}}
दरपण तो
नीं करै गै‘रो घाव
आंख रो दाई
{{KKBR}}
बादळ नईं,
बाप हुवै अकास
सदा छायो रै
</poem>
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