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14:50, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सै नै हंसावै
मन-मन में रोवै
खुद जोकर
हर गोपी नैं
लगाणा पड़ै चक्र
महारास में
पिंजरबंद
मैनावां भूल जावै
खुलै आभै नैं
</poem>
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