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08:16, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
लाख संभाळो
दरपण रो पाणी
तो उतरसी
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जे कसूळिया
सै कलम री कूख,
जणै रचना
{{KKBR}}
सगळा घरां
तरेड़ां ई तरेड़ां
साबत घर?
</poem>
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