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जान रहते ही मिट गया होताआप का इंतिज़ार रहता हैदर्द गर क़ाबिले शिफ़ा होतादिल बहुत बेक़रार रहता है
बारे-लूट ले उसको भी कोई आकरदिल में जो कुछ तो कम हुआ होताकाश अश्क़ों का सिलसिला होताक़रार रहता है
रास्ता जिस पे उम्र गुज़री हैहो चुका तर्के-रब्त जब उनसेकाश मंज़िल का रास्ता होताउनका क्यों इंतिज़ार रहता है
राहे मंज़िल पे रौशनी होतीनेमते इश्क़ ने दिये सदमेफूल के साथ गर आपका मिला होताख़ार रहता है
आपकी याद आपके इश्क़ का जुनूँ मेरेदिल में रहती पे हरदम स्वर रहता हैवरना दिल को जला दिया होता।तुझसे मिलने के बाद भी हमदमक्यों तेरा इंतिज़ार रहता है।
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