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आप का इंतिज़ार रहता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'

आप का इंतिज़ार रहता है
दिल बहुत बेक़रार रहता है

लूट ले उसको भी कोई आकर
दिल में जो कुछ क़रार रहता है

हो चुका तर्के-रब्त जब उनसे
उनका क्यों इंतिज़ार रहता है

नेमते इश्क़ ने दिये सदमे
फूल के साथ ख़ार रहता है

आपके इश्क़ का जुनूँ मेरे
दिल पे हरदम स्वर रहता है

तुझसे मिलने के बाद भी हमदम
क्यों तेरा इंतिज़ार रहता है।