गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मैं शहर हूँ / निशान्त जैन
2 bytes added
,
16:45, 20 जनवरी 2019
ढूँढता कुछ पहर हूँ।
मैं शहर हूँ।
बेमुरव्वत भीड़ में,
परछाइयों की निगहबानी,
मन-मन में ही घुला जहर हूँ।
मैं शहर हूँ।
मन के नाजुक से मौसम में,
भारी-भरकम बोझ उठाए,
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,130
edits