Changes

{{KKCatNavgeet}}
<poem>
मेघ बजे
हवा चले
दिल में अंगार जले
धनुष-गगन
बूँद-तीर
मन्मथ तन रहा चीर
मन होता है अधीर
पोर-पोर बढ़े पीर
सन-सन पछियाँव बहे
विरही मन आज दहे
 
ज्यों सूरज गले मिले
 
अमवा झुक झूम-झूम
महुआ मुख रहा चूम
भीग रहे उभय गात
पुलकित हैं पात-पात
झर-झर-झर प्रेम झरे
चरर-मरर जिया करे
 
देख-देख बाँस जले
 
जवाँ हुये नदी नार
मिट्टी से मची रार
कट-कट गिरता कगार
बंधन सब गये हार
धारा से मिली धार
दरिया ने किया प्यार
 
जात-पाँत हाथ मले
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits