गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पलकों ने चुम्बन के गीत सुने / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
859 bytes added
,
16:38, 21 जनवरी 2019
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
पलकों ने
चुम्बन के गीत सुने
आँखों ने
ख़्वाबों के फूल चुने
साँसें यूँ
साँसों से गले मिलीं
अंग-अंग
नस-नस में डूब गया
हाथों ने
हाथों से बातें की
और त्वचा ने सीखा
शब्द नया
रोम-रोम
सिहरन के वस्त्र बुने
मेघों से
बरस पड़ी मधु धारा
हवा मुई
पी-पीकर बहक गई
बाँसों के झुरमुट में
चाँद फँसा
काँप-काँप
तारे गिर पड़े कई
रात नये सूरज की
कथा गुने
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits