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<poem>

आँखें चौकस
और खुली चोंच
उठी दिशाओं में

कि उठ रहा दिशाओं से काल

यहाँ से उठकर जाना है कहाँ तक-
तय करेंगे पंछी
इसी एक पल में।



</poem>
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