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20:07, 23 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
आँखें चौकस
और खुली चोंच
उठी दिशाओं में
कि उठ रहा दिशाओं से काल
यहाँ से उठकर जाना है कहाँ तक-
तय करेंगे पंछी
इसी एक पल में।
</poem>