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<poem>
धँसा है आसमान
पर्वत के सीने पर चट्टानों में
धब्बे हैं मटमैले

पानी का सतरंगा मुख दरका है
यादों का
झाँक रहा खुल पड़ता
परतों से
चट्टानी इच्छा का।

</poem>
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