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20:50, 23 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मधु शर्मा
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|संग्रह=
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<poem>
धँसा है आसमान
पर्वत के सीने पर चट्टानों में
धब्बे हैं मटमैले
पानी का सतरंगा मुख दरका है
यादों का
झाँक रहा खुल पड़ता
परतों से
चट्टानी इच्छा का।
</poem>