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03:09, 31 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्या ये बेहतर नहीं है कि एक शुरूआती वक़्त,
अपनी शांत कोशिकाओं में, थका सिर आराम ले ले
जब कि पंक्षी गा रहे हों और जब लता में खिल रही हों कलियाँ,
बजाय कि बाहर जलाई जाए आग और बिस्तर पर मर जाये भूखे?
</poem>