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मझधार क्या / राधेश्याम प्रगल्भ
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08:10, 22 फ़रवरी 2019
पानी जहाँ गहरा वहीं
गोता लगाना है मुझे
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तुम तीर को तरसा करो
मेरे लिए मझधार क्या !
</poem>
अनिल जनविजय
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