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बायस्कोप / कुमार विकल
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08:24, 2 अगस्त 2008
आँखें बन्द करके मैंने
चन्दा
चंदा
मामा के घर में
चरखा कात रही बुढ़िया के बारे में सोचा.
मेरा बायस्कोप कितना अच्छा था
रोज़ रात सोने से पहले
दिखा
देखा
करता .
तब बचपन था,
लेकिन अब—
चण्दा
चंदा
मामा के घर में
चरखा कात रही बुढ़िया
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