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16:13, 18 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
पीर-धूल संघर्षण देना
प्राणों का नित अर्पण देना
अलग न कोई करने पाये
ऐसा मुग्ध समर्पण देना
जीवन में उत्साह जगाते
स्वप्नों का संकर्षण देना
मुग्ध रहूँ स्तब्ध न होऊँ
वह अद्भुत आकर्षण देना
अपना अक्स देख मैं पाऊँ
मुझ को ऐसा दर्पण देना
</poem>