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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
जिधर चाहते हो उधर देख लेना
दुआ का हमारी असर देख लेना

उठा कर नज़र देख लोगे इधर तो
नज़र जाएगी ये ठहर देख लेना

कभी याद आये जो तुम को हमारी
तो आँगन का सूखा शज़र देख लेना

बड़ी मुश्किलों में जो जीना पड़ा तो
कसेगा ज़माना कमर देख लेना

तुम्हारे न सुर यदि मिलेगें कभी तो
मेरी हर ग़ज़ल बे बहर देख लेना

</poem>