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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
सुनो यशोदा लाल, विनय अब मेरी
घिरी घटा घनघोर, विपत्ति घनेरी

लिया तुम्हारा नाम, श्याम मधुसूदन
चरण शरण मैं आज, आ गयी तेरी

घनी अँधेरी रात, जिया डरपाये
तजा मोह का भार, बनी प्रभु चेरी

किया नहीं अपमान, किसी जीवन का
दिया सदा सम्मान, प्रतीति घनेरी

कहा नित्य ही सत्य, सभी के हित का
बना किसलिये आज, कुराज अहेरी

</poem>