869 bytes added,
05:26, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
पीर को ईश का रहम जाना
जो मिला रब से उसे कम जाना
चैन मिलता उसी के दर पर है
ध्यान में साँवरे के रम जाना
श्वांस आवागमन किया करती
मौत है ज़िन्दगी का थम जाना
दर्द की आखिरी है सीमा ये
आँख में आँसुओं का जम जाना
फेर कर मुँह चला गया कोई
हमने लेकिन उसे भरम जाना
</poem>