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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
प्यार जो मेरे कन्हैया से करेगा
नाम वह उसका सदा रटता रहेगा

रोक पायेगी उसे कब विघ्न-बाधा
साँवरा घनश्याम जिस दिल में रहेगा

आज छली मैं बंद कर लूँ इन दृगों में
कब तलक तू इस हृदय को यों छलेगा

प्यार की डोरी प्रबल है बाँध लेती
आज मन मेरा ये बंधन भी सहेगा

श्याम कर स्वीकार उर नवनीत मेरा
नीर-सा यह डगर तेरी ही बहेगा

</poem>