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07:43, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
है खुशनसीब दिल अगर वह दिल के पास आयेगा
हमारे प्यार की ग़ज़लें जमाना गुनगुनायेगा
है बदगुमानियाँ अगरचे फासले भी दरमियाँ
ठहर गयीं जो दूरियाँ वो अक्स टूट जायेगा
ये मादरे-वतन मेरी ये रूह मेरी जान है
इसी में हो दफन ये तन मेरा सुकून पायेगा
जिहाद कह के तू न दहशतों का एहतराम कर
कि दहशतों से सिर्फ़ जिस्म ही कफ़न ये पायेगा
</poem>