भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

है खुशनसीब दिल अगर वह दिल के पास आयेगा / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

है खुशनसीब दिल अगर वह दिल के पास आयेगा
हमारे प्यार की ग़ज़लें जमाना गुनगुनायेगा

है बदगुमानियाँ अगरचे फासले भी दरमियाँ
ठहर गयीं जो दूरियाँ वो अक्स टूट जायेगा

ये मादरे-वतन मेरी ये रूह मेरी जान है
इसी में हो दफन ये तन मेरा सुकून पायेगा

जिहाद कह के तू न दहशतों का एहतराम कर
कि दहशतों से सिर्फ़ जिस्म ही कफ़न ये पायेगा