भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
है खुशनसीब दिल अगर वह दिल के पास आयेगा / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
है खुशनसीब दिल अगर वह दिल के पास आयेगा
हमारे प्यार की ग़ज़लें जमाना गुनगुनायेगा
है बदगुमानियाँ अगरचे फासले भी दरमियाँ
ठहर गयीं जो दूरियाँ वो अक्स टूट जायेगा
ये मादरे-वतन मेरी ये रूह मेरी जान है
इसी में हो दफन ये तन मेरा सुकून पायेगा
जिहाद कह के तू न दहशतों का एहतराम कर
कि दहशतों से सिर्फ़ जिस्म ही कफ़न ये पायेगा