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{{KKRachna
|रचनाकार=सुशील सिद्धार्थ
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|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
मछरी मछरी केत्ता पानी

लहर लहर मा साजिस नाचै
तट पर बगुला पोथी बांचै
गालबजउवा ह्वै गे ग्यानी

घड़ियालन कै कुनबा बढ़िगा
ज्वांकन का है पारा चढ़िगा
नाचि रहीं भंवरै तूफानी

बुड्डी मारैं नाउ डुबावैं
रिसवति लै कै पार लगावैं
देखि रही सब कुतिया कानी

धार फाइलन मा धंसि जाई
कउनौ चोरकट्टा हंसि जाई
कही कि येहिमा का हैरानी

</poem>