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बहुत याद आयीं तेरी चिट्ठियाँ
कभी दुख ही दुख तो कभी सुख ही सुखडरो मत, दुखों के पहाड़ों के बाद हैं जीवन सुखों की भी 'दरवेश' ये झलकियाँहैं वादियाँ
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