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11:32, 22 अप्रैल 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बाल गंगाधर 'बागी'
|अनुवादक=
|संग्रह=आकाश नीला है / बाल गंगाधर 'बागी'
}}
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<poem>
चिरागे मोहब्बत हर दिल में नहीं जलता
जिनमें कभी किसी के लिए प्यार नहीं पलता
हम चिरागे मोहब्बत हर दिल में जलाते हैं
मगर उनके दिल में प्यार नहीं पलता
हजारों दिये बुझाये तुम्हें फिर भी गम नहीं
हर एक दिल का दर्द, तुझ सा नहीं होता
घर मेरा जला के, वे जश्न मना रहे हैं
किसी का वक्त कभी भी इक सा नहीं होता
अपने अंदर कभी झांक के इंसान तलाशो
दिल किसी का पूरा बुरा नहीं होता
</poem>