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चाल / बाल गंगाधर 'बागी'
Kavita Kosh से
चिरागे मोहब्बत हर दिल में नहीं जलता
जिनमें कभी किसी के लिए प्यार नहीं पलता
हम चिरागे मोहब्बत हर दिल में जलाते हैं
मगर उनके दिल में प्यार नहीं पलता
हजारों दिये बुझाये तुम्हें फिर भी गम नहीं
हर एक दिल का दर्द, तुझ सा नहीं होता
घर मेरा जला के, वे जश्न मना रहे हैं
किसी का वक्त कभी भी इक सा नहीं होता
अपने अंदर कभी झांक के इंसान तलाशो
दिल किसी का पूरा बुरा नहीं होता