Changes

बदलाव / बाल गंगाधर 'बागी'

1,344 bytes added, 06:44, 23 अप्रैल 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाल गंगाधर 'बागी' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बाल गंगाधर 'बागी'
|अनुवादक=
|संग्रह=आकाश नीला है / बाल गंगाधर 'बागी'
}}
{{KKCatDalitRachna}}
<poem>
कुछ लोग ज़िन्दगी को संवारते रहे उम्र भर
कुछ लोग उसे मदिरा समझ के पी गये
तारीख के पन्नों में फंसाने है उनके
जो लोगों के नाम अपनी ज़िन्दगी जी गये
ये वक्त किसी शाह का गुलाम तो नहीं
इसको जकड़ने वाले खुद ही नहीं रहे
खुद पर गुरूर कभी भी करना न दोस्तों
इस दर से गिरने वाले शातिर नहीं रहे
आओ तुम्हें दिखायें किले मिनार उनके
जो खड़े थे मजबूत वो पत्थर नहीं रहे
जो बाजार में लोगों का करते थे सौदा
‘बाग़ी’ जमीर बेचकर वो जिन्दा नहीं रहे
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,472
edits