693 bytes added,
13:20, 2 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धनेश कोठारी
|अनुवादक=
|संग्रह=[[ज्यूंदाळ / धनेश कोठारी]]
}}
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
हे द्यूरा!
स्य राजधनि
गैरसैंण कब तलै
ऐ जाली?
बस्स बौजि!
जै दिन
तुमरि-मेरि
अर
हमरा ननतिनों का
ननतिनों कि
लटुलि फुलि जैलि
शैद
वे दिन
स्या राज-धनि
तै गैरा बिटि
ये सैंणा मा
ऐ जाली।
</poem>