{{KKCatGhazal}}
<poem>
कभी मत छेड़ वो बातें वो मंजर याद आता है कभी मिलते थे हम दोनों सुखनवर याद आता है।है
तुम्हारी बेवफाई तो हमें बस टीस देती हैएहै
तुम्हारे खौफ का गहरा समुंदर याद आता है।
तुम्हीं बोलो कहाँ जायें न दिखता है कोई अपनाएअपना
जिधर नजरें फिराता हूँ वो अक्सर याद आता है।
अभी मिल्लत से रहना ही जमाने का तकाजा हैएहैशबे.-ग़म को भुलाने का ही अवसर याद आता है।
वफ़ा करके भी मिलती है नहीं सबको वफ़ा जग मेंएमें
मुहब्बत से भरा बचपन का वो घर याद आता है।
</poem>