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06:53, 8 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[रेंवतदान चारण]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उछाळौ / रेंवतदान चारण
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<poem>
भल भल नहीं लागै भलौ नवल नवोढा नार
काळ सिखायै लागग्यौ भादरवौ भरतार
भादरवै बिलमावती धरती लीली चैर
पीक पपैया बोलता मेहां हुवती मैर
पांणी भरतौ पाळ तक लेतौ लहरां लैर
काळ कुलंगी काढग्यौ बादीलौ तौई बैर
भणतां हुवती भादवै मंड जातौ घमसांण
कसियां घास अर फूस में नित री करत निनांण
काळ हुवण दै नह कदै हाळी सूं कोई हेत
बरसण दै छांट न बादळी सूखै ऊभा खेत
</poem>
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