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काळ बरस रौ बारामासौ (भादरवौ) / रेंवतदान चारण
Kavita Kosh से
भल भल नहीं लागै भलौ नवल नवोढा नार
काळ सिखायै लागग्यौ भादरवौ भरतार
भादरवै बिलमावती धरती लीली चैर
पीक पपैया बोलता मेहां हुवती मैर
पांणी भरतौ पाळ तक लेतौ लहरां लैर
काळ कुलंगी काढग्यौ बादीलौ तौई बैर
भणतां हुवती भादवै मंड जातौ घमसांण
कसियां घास अर फूस में नित री करत निनांण
काळ हुवण दै नह कदै हाळी सूं कोई हेत
बरसण दै छांट न बादळी सूखै ऊभा खेत