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18:26, 27 मई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुनीता पाण्डेय 'सुरभि'
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<poem>
आ गया प्यार का जमाना है।
उम्र भर अब तो मुस्कुराना है॥
जाने कब मुझको अलविदा कह दे-
जिन्दगी का कोई ठिकाना है।
मिलके गाते थे गीत जो हम-तुम-
फिर लबों पर वही तराना है।
तेरे-मेरे ये दरमयाँ हमदम-
सिलसिला प्यार का पुराना है।
ऐ सनम तुझपे सब लुटा दूँगी-
पास जो प्यार का ख़जाना है।
शब गुज़ारी है किस तरह मैंने-
हाले-दिल ये उन्हें सुनाना है।
मौसमे-गुल को देखकर शायद-
फिर सुनीता का दिल दीवाना है।
</poem>
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