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08:09, 5 जून 2019
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|रचनाकार= कुमार मुकुल
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<poem>
मृत्यु तो इक क्षण है रे
लंबा यह जीवन है रे ...तु रू रू रू तू
सुबह हुई चिडि़या बोली
सबने अपनी आंखें खोलीं
धूसर-पीला-लाल-गुलाल
फैली इत-उत रंगोली ...
मृत्यु तो इक क्षण है रे
लंबा यह जीवन है रे ...तु रू रू रू तू
जामुन-बेरी-नीम-निबौली
मीठी अमिया उभ-चुभ बोली
मंद पवन बदली की ताल
अग-जग भीगा हुई ठिठोली ...
मृत्यु तो इक क्षण है रे
लंबा यह जीवन है रे ...तु रू रू रू तू
</poem>